OSI मॉडल के 7 लेयर्स का विस्तृत विवरण in Hindi
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OSI Model: 7 Layers Explained in Hindi
Table of Contents
- OSI Model in Hindi
- 7 Layers of OSI Model in Hindi
- Physical Layer in OSI Model in Hindi
- Data Link Layer in OSI Model in Hindi
- Network Layer in OSI Model in Hindi
- Transport Layer in OSI Model in Hindi
- Session Layer in OSI Model in Hindi
- Presentation Layer in OSI Model in Hindi
- Application Layer in OSI Model in Hindi
- Advantages of OSI Model in Hindi
- Disadvantages of OSI Model in Hindi
OSI Model in Hindi
नमस्ते! आज हम OSI मॉडल के बारे में सीखेंगे, जो नेटवर्किंग की दुनिया में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। इसे समझना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन मैं इसे सरल और स्पष्ट तरीके से समझाने की कोशिश करूंगा, ताकि आप इसे आसानी से समझ सकें।
OSI मॉडल क्या है?
OSI का पूरा नाम "Open Systems Interconnection" है। यह एक संदर्भ मॉडल है जिसे ISO (International Organization for Standardization) ने 1984 में विकसित किया था। इस मॉडल में नेटवर्किंग प्रक्रियाओं को सात परतों (layers) में विभाजित किया गया है, जिससे डेटा एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक प्रभावी ढंग से पहुंच सके।
OSI मॉडल की 7 परतें
आइए अब हम OSI मॉडल की सात परतों को विस्तार से समझते हैं:
1. Physical Layer
यह OSI मॉडल की सबसे निचली परत है। इसका मुख्य कार्य भौतिक और इलेक्ट्रिकल कनेक्शन स्थापित करना है, जैसे वोल्टेज स्तर, डेटा दर, और केबलिंग। यह परत यह निर्धारित करती है कि डेटा ट्रांसमिशन वायरलेस होगा या वायर्ड।
2. Data Link Layer
यह परत नेटवर्क पर डेटा फ्रेम्स के विश्वसनीय ट्रांसमिशन के लिए जिम्मेदार है। यह त्रुटि पहचान (error detection) और सुधार (correction) करती है, और डेटा को सही ढंग से पैकेटों में विभाजित करती है।
3. Network Layer
नेटवर्क लेयर डेटा पैकेट्स को स्रोत से गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य करती है। यह रूटिंग और लॉजिकल एड्रेसिंग (जैसे IP एड्रेस) के लिए जिम्मेदार होती है, जिससे डेटा सही मार्ग से होकर गंतव्य तक पहुंचे।
4. Transport Layer
यह परत एंड-टू-एंड कम्युनिकेशन सुनिश्चित करती है। इसका कार्य डेटा सेगमेंटेशन, त्रुटि नियंत्रण, और फ्लो नियंत्रण करना है। यह सुनिश्चित करती है कि डेटा सही क्रम में और बिना त्रुटि के गंतव्य तक पहुंचे।
5. Session Layer
सेशन लेयर दो डिवाइसों के बीच संचार सत्र (session) स्थापित, प्रबंधित और समाप्त करने का कार्य करती है। यह सुनिश्चित करती है कि संचार सत्र सुचारु रूप से चले और आवश्यकतानुसार पुनः स्थापित हो सके।
6. Presentation Layer
यह परत डेटा के प्रस्तुतीकरण से संबंधित है। यह डेटा के एन्क्रिप्शन, डिक्रिप्शन, और संपीड़न (compression) का कार्य करती है, जिससे डेटा सुरक्षित और कुशलता से ट्रांसमिट हो सके।
7. Application Layer
यह OSI मॉडल की सबसे ऊपरी परत है, जो एंड यूजर के सबसे निकट होती है। यह परत उपयोगकर्ताओं को नेटवर्क सेवाएं प्रदान करती है, जैसे ईमेल, वेब ब्राउज़िंग, और फ़ाइल ट्रांसफर।
आशा है कि इस सरल व्याख्या से आपको OSI मॉडल की समझ में मदद मिली होगी। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!
7 Layers of OSI Model in Hindi
नमस्ते! आज हम OSI Model की 7 परतों के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह मॉडल नेटवर्किंग की दुनिया में डेटा ट्रांसमिशन को समझने के लिए एक मानक ढांचा प्रदान करता है।
1. Physical Layer
यह OSI मॉडल की सबसे निचली परत है। इसका मुख्य कार्य भौतिक माध्यमों (जैसे केबल, वायरलेस) पर डेटा के बिट्स को ट्रांसमिट करना है। यह परत वोल्टेज स्तर, डेटा दर, और फिजिकल कनेक्शन की विशेषताओं को निर्धारित करती है।
2. Data Link Layer
यह परत डेटा को फ्रेम्स में विभाजित करती है और फिजिकल लेयर पर विश्वसनीय ट्रांसमिशन सुनिश्चित करती है। यह त्रुटि पहचान (error detection) और सुधार (error correction) करती है, और मीडिया एक्सेस कंट्रोल (MAC) पतों का प्रबंधन करती है।
3. Network Layer
नेटवर्क लेयर डेटा पैकेट्स को स्रोत से गंतव्य तक पहुंचाने का कार्य करती है। यह रूटिंग, लॉजिकल एड्रेसिंग (जैसे IP एड्रेस), और कनेक्शनलेस संचार के लिए जिम्मेदार होती है।
4. Transport Layer
यह परत एंड-टू-एंड कम्युनिकेशन सुनिश्चित करती है। इसका कार्य डेटा सेगमेंटेशन, त्रुटि नियंत्रण, और फ्लो नियंत्रण करना है। यह सुनिश्चित करती है कि डेटा सही क्रम में और बिना त्रुटि के गंतव्य तक पहुंचे।
5. Session Layer
सेशन लेयर दो डिवाइसों के बीच संचार सत्र (session) स्थापित, प्रबंधित और समाप्त करने का कार्य करती है। यह सुनिश्चित करती है कि संचार सत्र सुचारु रूप से चले और आवश्यकतानुसार पुनः स्थापित हो सके।
6. Presentation Layer
यह परत डेटा के प्रस्तुतीकरण से संबंधित है। यह डेटा के एन्क्रिप्शन, डिक्रिप्शन, और संपीड़न (compression) का कार्य करती है, जिससे डेटा सुरक्षित और कुशलता से ट्रांसमिट हो सके।
7. Application Layer
यह OSI मॉडल की सबसे ऊपरी परत है, जो एंड यूजर के सबसे निकट होती है। यह परत उपयोगकर्ताओं को नेटवर्क सेवाएं प्रदान करती है, जैसे ईमेल, वेब ब्राउज़िंग, और फ़ाइल ट्रांसफर।
आशा है कि इस व्याख्या से आपको OSI मॉडल की 7 परतों की समझ में मदद मिली होगी। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!
Physical Layer in OSI Model in Hindi
नमस्ते! आज हम OSI Model की सबसे पहली परत, Physical Layer, के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह परत नेटवर्किंग की नींव है और डेटा ट्रांसमिशन की मूलभूत प्रक्रियाओं को संभालती है।
Physical Layer क्या है?
Physical Layer OSI मॉडल की सबसे निचली (पहली) परत है। इसका मुख्य कार्य विभिन्न नेटवर्क डिवाइसों के बीच भौतिक और इलेक्ट्रिकल कनेक्शन स्थापित करना है। यह परत डेटा को बिट्स (0s और 1s) के रूप में एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस तक ट्रांसमिट करती है।
Physical Layer के प्रमुख कार्य
- बिट ट्रांसमिशन: यह परत डेटा को बिट्स के रूप में ट्रांसमिट करती है, जो डिजिटल सिग्नल्स के रूप में होते हैं।
- डेटा रेट नियंत्रण: यह ट्रांसमिशन की गति (data rate) को निर्धारित करती है, जिससे डेटा ट्रांसफर की दर नियंत्रित होती है।
- सिग्नलिंग: यह निर्धारित करती है कि डेटा को इलेक्ट्रिकल, ऑप्टिकल या रेडियो सिग्नल्स के रूप में कैसे प्रस्तुत किया जाएगा।
- भौतिक टोपोलॉजी: नेटवर्क में डिवाइसों की भौतिक संरचना (जैसे स्टार, बस, रिंग) को परिभाषित करती है।
- मोड डिटर्मिनेशन: यह तय करती है कि डेटा ट्रांसमिशन सिम्प्लेक्स, हाफ-डुप्लेक्स या फुल-डुप्लेक्स मोड में होगा।
Physical Layer में उपयोग होने वाले डिवाइस
- हब (Hub): यह एक केंद्रीय डिवाइस है जो नेटवर्क में जुड़े सभी डिवाइसों को डेटा पैकेट्स भेजता है।
- रिपीटर (Repeater): यह सिग्नल को पुनः उत्पन्न करता है ताकि लंबी दूरी पर डेटा ट्रांसमिशन में सिग्नल की गुणवत्ता बनी रहे।
Physical Layer में ट्रांसमिशन मोड्स
डेटा ट्रांसमिशन के तीन मुख्य मोड होते हैं:
- सिम्प्लेक्स मोड (Simplex Mode): इसमें डेटा केवल एक दिशा में ट्रांसमिट होता है, जैसे टेलीविजन प्रसारण।
- हाफ-डुप्लेक्स मोड (Half-Duplex Mode): इसमें डेटा दोनों दिशाओं में ट्रांसमिट हो सकता है, लेकिन एक समय में केवल एक दिशा में, जैसे वॉकी-टॉकी।
- फुल-डुप्लेक्स मोड (Full-Duplex Mode): इसमें डेटा दोनों दिशाओं में एक साथ ट्रांसमिट हो सकता है, जैसे टेलीफोन वार्तालाप।
आशा है कि इस व्याख्या से आपको Physical Layer की समझ में मदद मिली होगी। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!
Data Link Layer in OSI Model in Hindi
नमस्ते! आज हम OSI Model की दूसरी परत, Data Link Layer, के बारे में विस्तार से जानेंगे। यह परत नेटवर्क में डेटा के विश्वसनीय ट्रांसमिशन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Data Link Layer क्या है?
Data Link Layer OSI मॉडल की दूसरी परत है। इसका मुख्य कार्य नेटवर्क पर डेटा फ्रेम्स का त्रुटि-मुक्त (error-free) ट्रांसफर सुनिश्चित करना है। यह परत डेटा को फ्रेम्स में विभाजित करती है और इन फ्रेम्स में हेडर और ट्रेलर जोड़ती है, जिसमें हार्डवेयर गंतव्य और स्रोत पतों की जानकारी होती है।
Data Link Layer के प्रमुख कार्य
- फ्रेमिंग (Framing): यह परत फिजिकल लेयर की रॉ बिट स्ट्रीम को फ्रेम्स में परिवर्तित करती है, जिससे डेटा को व्यवस्थित रूप से ट्रांसमिट किया जा सके।
- भौतिक एड्रेसिंग (Physical Addressing): प्रत्येक फ्रेम में एक हेडर जोड़ा जाता है, जिसमें गंतव्य (destination) और स्रोत (source) के हार्डवेयर पते होते हैं, जिससे डेटा सही डिवाइस तक पहुंच सके।
- फ्लो नियंत्रण (Flow Control): यह परत डेटा प्रवाह को नियंत्रित करती है ताकि भेजने और प्राप्त करने वाले डिवाइस समान गति से डेटा का आदान-प्रदान कर सकें, जिससे डेटा ओवरफ्लो न हो।
- त्रुटि नियंत्रण (Error Control): डेटा ट्रांसमिशन के दौरान उत्पन्न होने वाली त्रुटियों की पहचान और सुधार करती है, जिससे डेटा की विश्वसनीयता बनी रहती है।
- मीडिया एक्सेस नियंत्रण (Media Access Control): जब दो या अधिक डिवाइस एक ही संचार माध्यम से जुड़े होते हैं, तो यह परत निर्धारित करती है कि किस डिवाइस को माध्यम तक पहुंच प्राप्त होगी, जिससे डेटा टकराव (collision) से बचा जा सके।
Data Link Layer की उप-परतें (Sublayers)
Data Link Layer को दो उप-परतों में विभाजित किया जाता है:
- मीडिया एक्सेस नियंत्रण (MAC) उप-परत: यह उप-परत नेटवर्क तक पहुंच को नियंत्रित करती है और डेटा फ्रेम्स को उचित रूप से ट्रांसमिट करने के लिए जिम्मेदार होती है।
- लॉजिकल लिंक कंट्रोल (LLC) उप-परत: यह उप-परत डेटा के प्रवाह और त्रुटि नियंत्रण को संभालती है, और नेटवर्क लेयर प्रोटोकॉल के साथ इंटरफेस प्रदान करती है।
Data Link Layer में उपयोग होने वाले डिवाइस
- स्विच (Switch): यह डिवाइस डेटा फ्रेम्स को गंतव्य डिवाइस तक पहुंचाने के लिए MAC पतों का उपयोग करता है, जिससे नेटवर्क की दक्षता बढ़ती है।
- ब्रिज (Bridge): यह दो या अधिक नेटवर्क खंडों को जोड़ता है और डेटा फ्रेम्स को उचित सेगमेंट में भेजता है, जिससे नेटवर्क का प्रदर्शन सुधारता है।
आशा है कि इस व्याख्या से आपको Data Link Layer की समझ में मदद मिली होगी। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!
Network Layer in OSI Model in Hindi
नमस्ते! आज हम OSI Model की तीसरी परत, Network Layer, के बारे में विस्तार से समझेंगे। यह परत नेटवर्क में डेटा पैकेट्स के मार्ग निर्धारण (routing) और उन्हें सही गंतव्य तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Network Layer क्या है?
Network Layer OSI मॉडल की तीसरी परत है। इसका मुख्य कार्य डेटा पैकेट्स को स्रोत (source) से गंतव्य (destination) तक पहुँचाने के लिए उपयुक्त मार्ग का चयन करना और उन्हें सही ढंग से अग्रेषित (forward) करना है। यह परत लॉजिकल एड्रेसिंग (जैसे IP addresses) का उपयोग करती है, जिससे विभिन्न नेटवर्क्स में डिवाइसों की पहचान और संचार संभव हो पाता है।
Network Layer के प्रमुख कार्य
- लॉजिकल एड्रेसिंग (Logical Addressing): यह परत प्रत्येक डिवाइस को एक यूनिक IP एड्रेस प्रदान करती है, जिससे नेटवर्क में उनकी पहचान संभव होती है।
- रूटिंग (Routing): यह परत डेटा पैकेट्स के लिए स्रोत से गंतव्य तक सबसे उपयुक्त मार्ग का निर्धारण करती है, जिससे डेटा कुशलतापूर्वक और तेजी से पहुँच सके।
- पैकेट स्विचिंग (Packet Switching): यह तकनीक डेटा को छोटे पैकेट्स में विभाजित करके उन्हें स्वतंत्र रूप से भेजने और गंतव्य पर पुनः संयोजित करने की अनुमति देती है, जिससे नेटवर्क की दक्षता बढ़ती है।
- कनेक्शनलेस संचार (Connectionless Communication): यह परत डेटा पैकेट्स को स्वतंत्र रूप से भेजती है, बिना किसी स्थायी कनेक्शन के, जिससे नेटवर्क संसाधनों का प्रभावी उपयोग होता है।
Network Layer में उपयोग होने वाले प्रोटोकॉल्स
इस परत में कई महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल्स कार्य करते हैं, जैसे:
- IP (Internet Protocol): यह प्रोटोकॉल डेटा पैकेट्स की एड्रेसिंग और रूटिंग के लिए जिम्मेदार होता है।
- ICMP (Internet Control Message Protocol): यह प्रोटोकॉल नेटवर्क डिवाइसों के बीच त्रुटि संदेशों और परिचालन जानकारी का आदान-प्रदान करता है।
- ARP (Address Resolution Protocol): यह प्रोटोकॉल IP एड्रेस को MAC एड्रेस में परिवर्तित करने का कार्य करता है, जिससे डेटा लिंक लेयर पर संचार संभव होता है।
Network Layer में उपयोग होने वाले डिवाइस
- राउटर (Router): यह डिवाइस विभिन्न नेटवर्क्स के बीच डेटा पैकेट्स को रूट करने का कार्य करता है, जिससे विभिन्न नेटवर्क्स के बीच संचार संभव होता है।
- लेयर 3 स्विच (Layer 3 Switch): यह स्विचिंग और रूटिंग दोनों कार्यों को संभालता है, जिससे नेटवर्क की प्रदर्शन क्षमता बढ़ती है।
आशा है कि इस व्याख्या से आपको Network Layer की समझ में मदद मिली होगी। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!
Transport Layer in OSI Model in Hindi
नमस्ते! आज हम OSI Model की चौथी परत, Transport Layer, के बारे में विस्तार से समझेंगे। यह परत डेटा के विश्वसनीय और कुशल अंत-से-अंत (end-to-end) संचार को सुनिश्चित करती है।
Transport Layer क्या है?
Transport Layer OSI मॉडल की चौथी परत है। इसका मुख्य कार्य विभिन्न डिवाइसों के बीच डेटा के विश्वसनीय ट्रांसमिशन को सुनिश्चित करना है। यह परत डेटा को छोटे-छोटे खंडों में विभाजित करती है, जिन्हें segments कहा जाता है, और यह सुनिश्चित करती है कि ये सेगमेंट सही क्रम में और बिना त्रुटि के गंतव्य तक पहुँचें।
Transport Layer के प्रमुख कार्य
- सेगमेंटेशन और रीअसेंबली (Segmentation and Reassembly): यह परत बड़े डेटा संदेशों को छोटे सेगमेंट में विभाजित करती है और गंतव्य पर उन्हें पुनः संयोजित करती है।
- कनेक्शन नियंत्रण (Connection Control): यह परत कनेक्शन-ओरिएंटेड (connection-oriented) और कनेक्शनलेस (connectionless) संचार दोनों का समर्थन करती है।
- फ्लो नियंत्रण (Flow Control): यह परत डेटा प्रवाह को नियंत्रित करती है ताकि प्रेषक (sender) और प्राप्तकर्ता (receiver) के बीच डेटा की गति संतुलित रहे।
- त्रुटि नियंत्रण (Error Control): यह परत डेटा ट्रांसमिशन के दौरान उत्पन्न होने वाली त्रुटियों का पता लगाती है और उन्हें सुधारती है।
Transport Layer में उपयोग होने वाले प्रोटोकॉल्स
- TCP (Transmission Control Protocol): यह एक कनेक्शन-ओरिएंटेड प्रोटोकॉल है जो विश्वसनीय डेटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित करता है।
- UDP (User Datagram Protocol): यह एक कनेक्शनलेस प्रोटोकॉल है जो तेज लेकिन गैर-विश्वसनीय डेटा ट्रांसमिशन प्रदान करता है।
Transport Layer में डेटा यूनिट
इस परत में डेटा यूनिट को Segment कहा जाता है। प्रत्येक सेगमेंट में हेडर होता है, जिसमें नियंत्रण जानकारी होती है, और डेटा होता है।
आशा है कि इस व्याख्या से आपको Transport Layer की समझ में मदद मिली होगी। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!
Session Layer in OSI Model in Hindi
नमस्ते! आज हम OSI Model की पाँचवीं परत, Session Layer, के बारे में विस्तार से समझेंगे। यह परत विभिन्न कंप्यूटरों के बीच सत्रों (sessions) को स्थापित, प्रबंधित और समाप्त करने का कार्य करती है।
Session Layer क्या है?
Session Layer OSI मॉडल की पाँचवीं परत है। इसका मुख्य कार्य स्थानीय (local) और दूरस्थ (remote) एप्लिकेशन के बीच संवाद (dialogue) को नियंत्रित करना है। यह परत यह सुनिश्चित करती है कि डेटा का प्रवाह सही ढंग से हो रहा है और यदि कोई बाधा आती है, तो डेटा को पुनः प्रेषित किया जाता है।
Session Layer के प्रमुख कार्य
- संवाद नियंत्रण (Dialogue Control): यह परत कंप्यूटरों के बीच संवाद को नियंत्रित करती है, जिससे वे हाफ-डुप्लेक्स (half-duplex) या फुल-डुप्लेक्स (full-duplex) मोड में संचार कर सकते हैं।
- सिंक्रोनाइज़ेशन (Synchronization): यह परत डेटा ट्रांसमिशन के दौरान सिंक्रोनाइज़ेशन पॉइंट्स स्थापित करती है, ताकि यदि कोई त्रुटि उत्पन्न होती है, तो डेटा को पुनः उसी बिंदु से प्रेषित किया जा सके।
- सत्र प्रबंधन (Session Management): यह परत सत्रों को स्थापित, प्रबंधित और समाप्त करने का कार्य करती है, जिससे एप्लिकेशन के बीच प्रभावी संचार सुनिश्चित होता है।
Session Layer में उपयोग होने वाले प्रोटोकॉल्स
- ADSP (AppleTalk Data Stream Protocol): यह प्रोटोकॉल AppleTalk नेटवर्क में डेटा स्ट्रीमिंग के लिए उपयोग किया जाता है।
- RTCP (Real-time Transport Control Protocol): यह प्रोटोकॉल रीयल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जाता है।
- PPTP (Point-to-Point Tunneling Protocol): यह प्रोटोकॉल वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क्स (VPNs) के लिए सुरंग (tunneling) प्रदान करता है।
- PAP (Password Authentication Protocol): यह प्रोटोकॉल उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण के लिए उपयोग किया जाता है।
आशा है कि इस व्याख्या से आपको Session Layer की समझ में मदद मिली होगी। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेझिझक पूछें!
FAQs
OSI Model एक मानक मॉडल है जो नेटवर्क संचार को सात परतों में विभाजित करता है, जिससे नेटवर्क को समझना सरल हो जाता है। यह मॉडल विभिन्न नेटवर्क उपकरणों और प्रोटोकॉल्स के बीच संगतता और इंटरऑपरेबिलिटी सुनिश्चित करता है, जिससे नेटवर्क संचार अधिक कुशल होता है। OSI Model मानकीकरण, इंटरऑपरेबिलिटी, और मॉड्यूलरिटी प्रदान करता है, जिससे नेटवर्किंग की समस्याओं का समाधान करना आसान हो जाता है। OSI Model में जटिलता, अव्यवहारिकता और प्रदर्शन में गिरावट जैसे नुकसान हैं, जो इसे पूरी तरह से लागू करने में बाधा उत्पन्न करते हैं। प्रत्येक परत में विभाजन के कारण, नेटवर्क समस्याओं की पहचान और समाधान करना सरल हो जाता है, क्योंकि हर स्तर पर विशिष्ट कार्यों को समझा जा सकता है। FAQs OSI (Open Systems Interconnection) मॉडल एक सैद्धांतिक ढांचा है जो नेटवर्किंग सिस्टम में संचार के कार्यों को सात परतों में विभाजित करता है, जिससे विभिन्न नेटवर्किंग प्रोटोकॉल के बीच अंतःक्रियाशीलता को समझना और सुधारना आसान होता है। OSI मॉडल की सात परतें हैं: 1. Physical Layer, 2. Data Link Layer, 3. Network Layer, 4. Transport Layer, 5. Session Layer, 6. Presentation Layer, 7. Application Layer। OSI मॉडल नेटवर्क डिजाइन और विकास को सरल बनाता है, विभिन्न नेटवर्किंग प्रोटोकॉल के बीच अंतःक्रियाशीलता को बढ़ावा देता है, और नेटवर्क समस्याओं के निदान और समाधान में सहायता करता है। OSI मॉडल के लाभों में शामिल हैं: यह नेटवर्क डिजाइन को सरल बनाता है, विभिन्न प्रोटोकॉल के बीच अंतःक्रियाशीलता को बढ़ावा देता है, और नेटवर्क समस्याओं के निदान में सहायता करता है। OSI मॉडल के कुछ नुकसान हैं: यह किसी विशेष प्रोटोकॉल को परिभाषित नहीं करता है, कुछ परतें जैसे Session और Presentation कम उपयोगी हो सकती हैं, और कुछ सेवाएँ विभिन्न परतों में दोहराई जा सकती हैं। OSI मॉडल सात परतों में विभाजित है, जबकि TCP/IP मॉडल चार परतों में। OSI एक सैद्धांतिक ढांचा है, जबकि TCP/IP व्यावहारिक कार्यान्वयन पर केंद्रित है और इंटरनेट पर व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।