Switching Techniques: Basics of Network Switching Techniques in Hindi
Makhanlal Chaturvedi University / BCA / Computer Networks
Switching Techniques: Basics of Network Switching Techniques in Hindi
Switching Techniques: Basics of Network Switching Techniques in Hindi
नेटवर्किंग की दुनिया में Switching Techniques का बहुत बड़ा महत्व होता है। जब हम किसी नेटवर्क के अंदर डेटा को एक जगह से दूसरी जगह भेजते हैं, तो यह जरूरी होता है कि डेटा सही और तेज़ी से पहुंचे। इसके लिए switching techniques का उपयोग किया जाता है। यह techniques नेटवर्क के अंदर डेटा के रास्ते को मैनेज करती हैं ताकि डेटा efficient तरीके से एक device से दूसरे device तक पहुंचे।
सबसे पहले समझते हैं कि Switching का मतलब क्या होता है। सरल भाषा में, switching का अर्थ है डेटा के पैकेट या कॉल को सही मार्ग पर भेजना ताकि वे गंतव्य तक पहुंच सकें। नेटवर्क के अंदर विभिन्न प्रकार की switching होती है, जो डेटा को अलग-अलग तरीके से manage करती हैं।
Switching की मुख्य प्रकार
- Circuit Switching – इसमें नेटवर्क पर एक dedicated path बनता है दोनों devices के बीच, जो communication पूरी तरह से खत्म होने तक बना रहता है।
- Packet Switching – इसमें डेटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में तोड़ा जाता है और हर पैकेट independently network में भेजा जाता है, गंतव्य पर आने के बाद ये पैकेट्स फिर से जुड़ जाते हैं।
- Message Switching – इसमें पूरा message एक बार में भेजा जाता है, लेकिन हर intermediate node पर message store और फिर आगे भेजा जाता है।
यहाँ सबसे ज्यादा use होने वाली switching techniques circuit switching और packet switching हैं, क्योंकि ये दोनों networks के लिए बहुत उपयुक्त और प्रभावी हैं।
Switching का मुख्य उद्देश्य
- डेटा को तेज़ और सुरक्षित तरीके से transfer करना।
- नेटवर्क resource का सही और efficient उपयोग करना।
- नेटवर्क congestion को कम करना।
- अलग-अलग devices के बीच communication को सरल बनाना।
तो चलिए, अब विस्तार से circuit switching और packet switching को समझते हैं ताकि आपको इनके बीच फर्क और काम करने का तरीका अच्छे से समझ आ सके।
Circuit vs Packet: Switching Technique Comparison in Hindi
Circuit Switching और Packet Switching नेटवर्क के दो सबसे महत्वपूर्ण switching techniques हैं। दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर है, जिसे समझना बहुत जरूरी है। मैं इसे सरल भाषा में, शिक्षक की तरह समझाता हूँ।
Circuit Switching क्या है?
- इसमें communication के लिए sender और receiver के बीच एक dedicated path (circuit) बनाया जाता है।
- जैसे ही कॉल या communication शुरू होता है, पूरा path reserve हो जाता है और communication के खत्म होने तक बना रहता है।
- यह technique voice calls और पुराने telephone नेटवर्क में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है।
- इसमें transmission continuous और real-time होती है।
Packet Switching क्या है?
- इसमें data को छोटे-छोटे पैकेट्स में तोड़ दिया जाता है।
- हर पैकेट network में स्वतंत्र रूप से भेजा जाता है, और यह अलग-अलग routes से भी जा सकता है।
- पैकेट्स गंतव्य पर पहुँचने के बाद पुनः मिलाए जाते हैं ताकि पूरा message बने।
- यह technique इंटरनेट और data networks में सबसे ज्यादा उपयोग होती है।
Comparison Table: Circuit Switching vs Packet Switching
| Feature | Circuit Switching | Packet Switching |
|---|---|---|
| Connection Type | Dedicated path established | No dedicated path, packets routed independently |
| Data Transfer | Continuous and real-time | Data sent in discrete packets |
| Resource Utilization | Less efficient, path reserved | More efficient, shared resources |
| Delay | Low delay once path established | Variable delay due to routing |
| Application | Voice calls, traditional telephony | Internet, data communication |
| Flexibility | Less flexible | Highly flexible |
इस तालिका से आप समझ सकते हैं कि circuit switching उन जगहों के लिए बेहतर है जहाँ लगातार और real-time communication चाहिए, जबकि packet switching अधिक लचीला और efficient है, खासकर data networks के लिए।
Access Mechanism: Introduction to Access Mechanisms in Hindi
नेटवर्क में Access Mechanism का मतलब है कि जब कई devices एक साथ नेटवर्क से जुड़ते हैं तो वे कैसे यह तय करते हैं कि कौन डेटा भेजेगा और कब। इसे हम एक तरीके से नेटवर्क के resource (जैसे bandwidth) को manage करने का तरीका कह सकते हैं। यह बहुत जरूरी होता है ताकि नेटवर्क congestion न हो और data collision से बचा जा सके।
Access Mechanism के प्रकार
- Random Access: इसमें devices किसी भी समय डेटा भेज सकते हैं, लेकिन collision हो सकता है। जैसे Ethernet में CSMA/CD इस्तेमाल होता है।
- Controlled Access: इसमें devices को data भेजने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। यह collision कम करता है। जैसे Token Ring networks।
- Channelization: इसमें नेटवर्क resource को channels में बांटा जाता है, और हर device को एक खास channel मिलता है। जैसे Frequency Division Multiple Access (FDMA) और Time Division Multiple Access (TDMA)।
Access Mechanism यह तय करता है कि नेटवर्क में सभी devices को data भेजने का मौका मिले और नेटवर्क smooth तरीके से काम करे।
Switching Application: Use of Switching Techniques in Real Network in Hindi
Switching techniques का उपयोग असल (real) नेटवर्क्स में बहुत बड़े पैमाने पर होता है। हर दिन हम इंटरनेट पर, मोबाइल कॉल करते समय, या कंप्यूटर नेटवर्किंग में switching techniques का फायदा उठाते हैं।
Network में Switching Techniques का उपयोग
- Telecommunication Networks: पुराने telephone सिस्टम में circuit switching का उपयोग होता था ताकि कॉल के दौरान dedicated connection बना रहे।
- Internet and Data Networks: इंटरनेट में packet switching का उपयोग होता है, जो डेटा को छोटे-छोटे पैकेट्स में तोड़कर भेजता है और गंतव्य पर फिर जोड़ता है।
- Local Area Networks (LANs): LAN में switching techniques से डेटा को efficient तरीके से route किया जाता है जिससे network slow न हो।
- Mobile Networks: मोबाइल communication में भी दोनों techniques का इस्तेमाल होता है, लेकिन packet switching इंटरनेट और data के लिए ज्यादा उपयोगी है।
इस प्रकार, switching techniques की वजह से हम तेज़, reliable और efficient communication कर पाते हैं। अगर switching techniques न होतीं, तो नेटवर्क में congestion, delay और data loss बढ़ जाता।
Summary: Switching techniques नेटवर्किंग की रीढ़ की हड्डी हैं। Circuit switching और packet switching के बीच फर्क समझना और Access mechanisms को जानना हर नेटवर्किंग स्टूडेंट के लिए जरूरी है। साथ ही, इनके वास्तविक नेटवर्क में उपयोग को समझकर आप नेटवर्क की बेहतर समझ प्राप्त कर सकते हैं।