Cash Flow Projection in Hindi<
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Cash Flow Projection in Hindi
किसी भी बिज़नेस के लिए कैश फ्लो प्रोजेक्शन एक बेहद जरूरी टूल होता है, जिससे कंपनी आने वाले समय में अपनी वित्तीय स्थिति का अंदाजा लगा सकती है। यह प्रोजेक्शन यह दिखाता है कि भविष्य में कितना कैश इनफ्लो और आउटफ्लो होगा। सही तरीके से किया गया कैश फ्लो प्रोजेक्शन बिज़नेस को फाइनेंशियल प्लानिंग, खर्चों को मैनेज करने और बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। इस आर्टिकल में हम आपको कैश फ्लो प्रोजेक्शन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से समझाएंगे।
Cash Flow Projection in Hindi
कैश फ्लो प्रोजेक्शन (Cash Flow Projection) किसी भी बिज़नेस के लिए एक ज़रूरी फाइनेंशियल टूल है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि भविष्य में कितना पैसा आएगा (Cash Inflow) और कितना पैसा खर्च होगा (Cash Outflow)। यह बिज़नेस की वित्तीय स्थिति को समझने और सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद करता है।
अगर कोई बिज़नेस बिना कैश फ्लो प्रोजेक्शन के चलता है, तो उसे अचानक कैश की कमी का सामना करना पड़ सकता है। इससे बिज़नेस में परेशानियां बढ़ सकती हैं, जैसे कि कर्मचारियों को समय पर सैलरी न दे पाना या सप्लायर को भुगतान न कर पाना।
इस आर्टिकल में हम कैश फ्लो प्रोजेक्शन को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि यह क्यों जरूरी है, इसे कैसे तैयार किया जाता है, और किन तरीकों से इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
कैश फ्लो प्रोजेक्शन (Cash Flow Projection) क्या होता है?
कैश फ्लो प्रोजेक्शन एक फाइनेंशियल टूल है, जो यह अनुमान लगाने में मदद करता है कि आने वाले समय में बिज़नेस में कितना पैसा आएगा और कितना खर्च होगा। इसे आमतौर पर तीन मुख्य हिस्सों में बांटा जाता है:
- ऑपरेटिंग कैश फ्लो (Operating Cash Flow): इसमें वे सभी कैश इनफ्लो और आउटफ्लो शामिल होते हैं, जो बिज़नेस की मुख्य गतिविधियों से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, सेल्स से आने वाला पैसा और कर्मचारियों की सैलरी का भुगतान।
- इनवेस्टिंग कैश फ्लो (Investing Cash Flow): इसमें उन सभी कैश फ्लो को शामिल किया जाता है, जो किसी एसेट (Asset) को खरीदने या बेचने से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, मशीनरी खरीदने या किसी इन्वेस्टमेंट से मिलने वाला रिटर्न।
- फाइनेंसिंग कैश फ्लो (Financing Cash Flow): इसमें उन सभी कैश फ्लो को गिना जाता है, जो बिज़नेस की फाइनेंसिंग से जुड़े होते हैं, जैसे कि लोन लेना, शेयर जारी करना या डिविडेंड देना।
कैश फ्लो प्रोजेक्शन क्यों जरूरी है?
बिज़नेस की सफलता के लिए यह जानना जरूरी होता है कि भविष्य में कितना कैश उपलब्ध रहेगा। अगर कैश फ्लो सही से मैनेज नहीं किया गया, तो बिज़नेस को फाइनेंशियल दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
कैश फ्लो प्रोजेक्शन के फायदे:
- फाइनेंशियल प्लानिंग में मदद: इससे बिज़नेस को यह अनुमान लगाने में मदद मिलती है कि आने वाले समय में कैश की क्या स्थिति होगी और कैसे खर्चों को मैनेज किया जाए।
- इन्वेस्टमेंट और ग्रोथ: अगर बिज़नेस को पता हो कि भविष्य में कैश सरप्लस रहेगा, तो वह नए इन्वेस्टमेंट कर सकता है और अपने बिज़नेस को एक्सपैंड कर सकता है।
- रिस्क मैनेजमेंट: अगर बिज़नेस को पहले से यह अंदाजा हो कि किसी महीने कैश की कमी हो सकती है, तो वह पहले से उसका समाधान निकाल सकता है, जैसे कि एडवांस में फंड्स अरेंज करना।
कैश फ्लो प्रोजेक्शन कैसे तैयार करें?
कैश फ्लो प्रोजेक्शन बनाने के लिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें:
- 1. अनुमानित सेल्स (Projected Sales): सबसे पहले, बिज़नेस को यह अंदाजा लगाना होता है कि अगले कुछ महीनों में कितनी सेल्स होने की उम्मीद है। यह अनुमान पिछले सेल्स डेटा, मार्केट ट्रेंड और सीजनल फैक्टर्स को देखकर लगाया जाता है।
- 2. कैश इनफ्लो (Cash Inflow) का अनुमान: इसमें यह शामिल होता है कि बिज़नेस को सेल्स के अलावा और किन-किन सोर्स से पैसा मिलेगा, जैसे कि इन्वेस्टमेंट, लोन या अन्य इनकम सोर्स।
- 3. कैश आउटफ्लो (Cash Outflow) की गणना: इसमें यह देखा जाता है कि बिज़नेस को कौन-कौन से खर्च करने होंगे, जैसे कि कर्मचारियों की सैलरी, रॉ मटेरियल की खरीद, रेंट, और अन्य ऑपरेटिंग खर्च।
- 4. नेट कैश फ्लो की गणना: इसमें कुल इनफ्लो और आउटफ्लो को घटाकर यह निकाला जाता है कि किसी महीने के अंत में कैश की क्या स्थिति होगी। यदि आउटफ्लो इनफ्लो से ज्यादा है, तो बिज़नेस को फंड अरेंजमेंट की जरूरत होगी।
कैश फ्लो प्रोजेक्शन के तरीके (Methods for Projecting Cash Flow)
कैश फ्लो का अनुमान लगाने के लिए विभिन्न तरीके होते हैं, लेकिन सबसे सामान्य तरीके नीचे दिए गए हैं:
- डायरेक्ट मेथड (Direct Method): इस तरीके में सभी कैश इनफ्लो और आउटफ्लो को सीधे जोड़कर निकाला जाता है। यह तरीका छोटे बिज़नेस के लिए आसान होता है क्योंकि इसमें रोजाना के कैश ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया जाता है।
- इनडायरेक्ट मेथड (Indirect Method): इस तरीके में नेट इनकम को आधार बनाकर एडजस्टमेंट किए जाते हैं और कैश फ्लो निकाला जाता है। यह तरीका बड़े बिज़नेस के लिए ज्यादा उपयुक्त होता है, क्योंकि इसमें नॉन-कैश आइटम्स (जैसे कि डिप्रिशिएशन) को भी ध्यान में रखा जाता है।
Components of Cash Flow Projection in Hindi
जब हम कैश फ्लो प्रोजेक्शन (Cash Flow Projection) की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी हो जाता है कि इसके मुख्य घटक (Components) कौन-कौन से होते हैं। यह घटक किसी भी बिज़नेस की वित्तीय स्थिति का सही अनुमान लगाने में मदद करते हैं और भविष्य की प्लानिंग को आसान बनाते हैं।
कैश फ्लो प्रोजेक्शन को तीन मुख्य भागों में बांटा जाता है: ऑपरेटिंग कैश फ्लो (Operating Cash Flow), इनवेस्टिंग कैश फ्लो (Investing Cash Flow), और फाइनेंसिंग कैश फ्लो (Financing Cash Flow)। इन तीनों घटकों को विस्तार से समझना जरूरी है ताकि बिज़नेस में पैसे की आवाजाही को सही से ट्रैक किया जा सके।
1. ऑपरेटिंग कैश फ्लो (Operating Cash Flow)
यह बिज़नेस के रोज़मर्रा के संचालन (Daily Operations) से जुड़े कैश इनफ्लो (Cash Inflow) और आउटफ्लो (Cash Outflow) को दर्शाता है। इसे बिज़नेस की मुख्य आय (Primary Income) भी कहा जा सकता है, क्योंकि इसमें वे सभी लेन-देन शामिल होते हैं जो सीधे बिज़नेस की कोर एक्टिविटी (Core Activity) से जुड़े होते हैं।
- कैश इनफ्लो: इसमें ग्राहकों से मिलने वाली पेमेंट, सर्विस की बिक्री से आने वाला पैसा, और बिज़नेस से जुड़ी अन्य इनकम शामिल होती हैं।
- कैश आउटफ्लो: इसमें कर्मचारियों की सैलरी, रॉ मटेरियल की खरीद, बिजली-पानी के बिल और अन्य ऑपरेटिंग खर्च शामिल होते हैं।
- महत्व: ऑपरेटिंग कैश फ्लो यह बताने में मदद करता है कि बिज़नेस अपनी मुख्य गतिविधियों से कितना प्रॉफिट कमा रहा है और उसे अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए बाहरी फंडिंग की जरूरत है या नहीं।
2. इनवेस्टिंग कैश फ्लो (Investing Cash Flow)
यह वह कैश फ्लो होता है जो बिज़नेस की लॉन्ग-टर्म एसेट्स (Long-Term Assets) से जुड़ा होता है। यदि कोई कंपनी किसी मशीन, जमीन, या अन्य इनवेस्टमेंट में पैसा लगाती है, तो यह इनवेस्टिंग कैश फ्लो के तहत आता है।
- कैश इनफ्लो: यदि बिज़नेस कोई पुरानी मशीन या एसेट बेचता है और उससे पैसा प्राप्त करता है, तो यह इनफ्लो के रूप में गिना जाता है।
- कैश आउटफ्लो: यदि बिज़नेस कोई नई मशीन, बिल्डिंग, या अन्य लॉन्ग-टर्म एसेट खरीदता है, तो यह इनवेस्टिंग कैश आउटफ्लो कहलाता है।
- महत्व: यह बिज़नेस की ग्रोथ और विस्तार को दिखाता है। एक अच्छा इनवेस्टिंग कैश फ्लो यह दर्शाता है कि बिज़नेस भविष्य में एक्सपैंड करने के लिए इन्वेस्ट कर रहा है।
3. फाइनेंसिंग कैश फ्लो (Financing Cash Flow)
यह वह कैश फ्लो होता है जो बिज़नेस की फाइनेंसिंग एक्टिविटीज (Financing Activities) से जुड़ा होता है। यदि बिज़नेस लोन लेता है, शेयर जारी करता है, या डिविडेंड का भुगतान करता है, तो यह इस कैटेगरी में आता है।
- कैश इनफ्लो: यदि बिज़नेस किसी बैंक से लोन लेता है या नए इन्वेस्टर्स से पैसा जुटाता है, तो यह फाइनेंसिंग कैश इनफ्लो कहलाता है।
- कैश आउटफ्लो: यदि बिज़नेस अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड का भुगतान करता है या किसी पुराने लोन को चुकाता है, तो यह फाइनेंसिंग कैश आउटफ्लो कहलाता है।
- महत्व: यह दर्शाता है कि बिज़नेस अपने ऑपरेशन और इन्वेस्टमेंट को बनाए रखने के लिए बाहरी स्रोतों से कितना पैसा ले रहा है और उसे वापस चुका रहा है या नहीं।
कैश फ्लो प्रोजेक्शन को समझने के लिए एक उदाहरण
चलिए एक सिंपल उदाहरण से इसे समझते हैं। मान लीजिए कि एक बिज़नेस की वित्तीय स्थिति इस प्रकार है:
कैश फ्लो का प्रकार | कैश इनफ्लो (₹) | कैश आउटफ्लो (₹) |
---|---|---|
ऑपरेटिंग कैश फ्लो | 5,00,000 | 3,00,000 |
इनवेस्टिंग कैश फ्लो | 50,000 | 1,00,000 |
फाइनेंसिंग कैश फ्लो | 2,00,000 | 50,000 |
ऊपर दिए गए उदाहरण में, ऑपरेटिंग कैश फ्लो का नेट बैलेंस (Inflow - Outflow) ₹2,00,000 है, जो यह दर्शाता है कि बिज़नेस अपनी मुख्य गतिविधियों से मुनाफा कमा रहा है।
लेकिन इनवेस्टिंग कैश फ्लो का नेट बैलेंस -₹50,000 है, जो यह दिखाता है कि बिज़नेस किसी नई एसेट में इन्वेस्ट कर रहा है। फाइनेंसिंग कैश फ्लो में नेट बैलेंस ₹1,50,000 है, जो यह दर्शाता है कि बिज़नेस ने बाहरी स्रोतों से पैसा जुटाया है।
Steps to Prepare Cash Flow Projection in Hindi
किसी भी बिज़नेस के लिए कैश फ्लो प्रोजेक्शन (Cash Flow Projection) बनाना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, जिससे बिज़नेस की भविष्य की वित्तीय स्थिति (Financial Position) का अनुमान लगाया जा सकता है।
यदि आप सही तरीके से कैश फ्लो प्रोजेक्शन तैयार करते हैं, तो आप अपने बिज़नेस के लिए एक मजबूत फाइनेंशियल प्लान (Financial Plan) बना सकते हैं। इस लेख में, हम स्टेप-बाय-स्टेप समझेंगे कि एक प्रभावी कैश फ्लो प्रोजेक्शन कैसे बनाया जाता है।
1. प्रोजेक्शन की अवधि तय करें (Determine the Projection Period)
सबसे पहले, यह तय करें कि आप कितने समय के लिए कैश फ्लो प्रोजेक्शन बना रहे हैं। आमतौर पर, बिज़नेस महीने, तिमाही (Quarterly), या वार्षिक (Annual) आधार पर प्रोजेक्शन तैयार करते हैं।
यदि आप एक स्टार्टअप हैं, तो महीनेवार (Monthly) प्रोजेक्शन बनाना फायदेमंद रहेगा, क्योंकि इससे आपको अपने शुरुआती खर्चों और आय का सही अनुमान मिलेगा।
बड़े और स्थापित बिज़नेस के लिए वार्षिक (Annual) कैश फ्लो प्रोजेक्शन बेहतर होता है, जिससे वे लंबे समय के लिए अपनी वित्तीय स्थिति का पूर्वानुमान लगा सकें।
2. संभावित आय का अनुमान लगाएं (Estimate Cash Inflows)
कैश फ्लो प्रोजेक्शन का सबसे पहला कदम यह समझना है कि आपके बिज़नेस में कितना कैश आने वाला है। यह मुख्य रूप से बिक्री (Sales), निवेश (Investments), और अन्य आय स्रोतों पर निर्भर करता है।
- ग्राहकों से भुगतान: आपको अनुमान लगाना होगा कि आपकी सेल्स से कितनी रकम प्राप्त होगी और ग्राहक भुगतान कब करेंगे।
- निवेश और लोन: यदि आपने कोई निवेश (Investment) या लोन लिया है, तो उसे भी इनफ्लो में जोड़ें।
- अन्य स्रोत: किसी प्रकार की अतिरिक्त आय जैसे कि सब्सिडी, डिविडेंड, या अन्य बिज़नेस से होने वाली कमाई को भी जोड़ें।
3. संभावित खर्चों की गणना करें (Identify Cash Outflows)
बिज़नेस में सिर्फ पैसा कमाने की ही बात नहीं होती, बल्कि उसे खर्च करने की भी योजना बनानी पड़ती है। इसलिए, आपको सभी संभावित खर्चों का अनुमान लगाना होगा।
- ऑपरेटिंग खर्च: कर्मचारी वेतन (Salaries), रेंट (Rent), बिजली-पानी के बिल, और अन्य दैनिक खर्चों को जोड़ें।
- इन्वेस्टमेंट खर्च: यदि आप कोई नई मशीन या प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं, तो उसे इन्वेस्टिंग आउटफ्लो में जोड़ें।
- फाइनेंसिंग खर्च: यदि आपने लोन लिया है, तो उसके ब्याज (Interest) और मूलधन (Principal) की अदायगी को ध्यान में रखें।
4. नेट कैश फ्लो निकालें (Calculate Net Cash Flow)
अब जब आपने संभावित इनकम (Cash Inflows) और खर्च (Cash Outflows) की गणना कर ली है, तो आपको नेट कैश फ्लो निकालना होगा। नेट कैश फ्लो यह दर्शाता है कि आपके पास महीने के अंत में कितना कैश बचा है।
नेट कैश फ्लो की गणना करने का फार्मूला है:
नेट कैश फ्लो = कुल कैश इनफ्लो - कुल कैश आउटफ्लो
यदि नेट कैश फ्लो पॉजिटिव है, तो इसका मतलब है कि बिज़नेस में अच्छी नकदी उपलब्ध है। यदि यह नेगेटिव है, तो आपको अपने खर्चों में कटौती करने या अधिक फंडिंग की योजना बनाने की जरूरत होगी।
5. कैश बैलेंस को एडजस्ट करें (Adjust the Cash Balance)
कैश फ्लो प्रोजेक्शन बनाने के बाद, आपको
Importance of Cash Flow Projection in Hindi
किसी भी बिज़नेस के लिए वित्तीय प्रबंधन (Financial Management) एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इसमें सबसे ज़रूरी चीज़ है – कैश फ्लो प्रोजेक्शन (Cash Flow Projection) , यानी यह अनुमान लगाना कि भविष्य में कितना कैश आएगा और कितना खर्च होगा।
यदि कैश फ्लो सही ढंग से मैनेज नहीं किया गया, तो बिज़नेस को वित्तीय संकट (Financial Crisis) का सामना करना पड़ सकता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि कैश फ्लो प्रोजेक्शन बिज़नेस के लिए क्यों जरूरी है और यह कैसे लाभ पहुंचाता है।
1. बेहतर वित्तीय योजना बनाने में मदद करता है (Helps in Better Financial Planning)
कैश फ्लो प्रोजेक्शन से बिज़नेस को यह अनुमान लगाने में मदद मिलती है कि आने वाले समय में उनके पास कितनी नकदी (Cash) उपलब्ध होगी। इससे वे अपने वित्तीय फैसलों को सही तरीके से प्लान कर सकते हैं।
यदि प्रोजेक्शन दिखाता है कि आने वाले महीनों में नकदी की कमी हो सकती है, तो पहले से ही आवश्यक कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे – खर्चों में कटौती (Cost Cutting) या अतिरिक्त फंडिंग (Additional Funding) की योजना बनाना।
इस प्रकार, एक सही कैश फ्लो प्रोजेक्शन बिज़नेस को वित्तीय अस्थिरता से बचाता है और भविष्य की वित्तीय योजनाओं को मजबूत बनाता है।
2. नकदी संकट से बचाव करता है (Prevents Cash Shortage)
कई बिज़नेस अच्छे मुनाफे (Profit) के बावजूद असफल हो जाते हैं, क्योंकि उनके पास सही समय पर नकदी उपलब्ध नहीं होती। यह समस्या खासतौर पर छोटे और नए बिज़नेस में देखने को मिलती है।
यदि कैश फ्लो प्रोजेक्शन किया जाए, तो पहले से ही यह पता चल सकता है कि कब और कितनी नकदी की जरूरत होगी। इससे बिज़नेस समय पर लोन (Loan) या निवेश (Investment) की व्यवस्था कर सकते हैं।
इससे बिज़नेस अचानक आने वाले वित्तीय संकट से बच सकते हैं और अपने संचालन को सुचारू रूप से चला सकते हैं।
3. निवेश और विस्तार की योजना बनाने में सहायक (Supports Business Growth & Expansion)
यदि कोई बिज़नेस अपने विस्तार (Expansion) की योजना बना रहा है, तो उसे यह जानना बहुत ज़रूरी है कि क्या उसके पास पर्याप्त नकदी उपलब्ध है या नहीं। कैश फ्लो प्रोजेक्शन इस मामले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
एक सटीक कैश फ्लो प्रोजेक्शन दिखाता है कि बिज़नेस कब नए संसाधनों (Resources) में निवेश कर सकता है और कब नहीं। इससे वित्तीय संतुलन (Financial Stability) बना रहता है और बिज़नेस सही समय पर ग्रोथ कर सकता है।
यदि प्रोजेक्शन दिखाता है कि नकदी की स्थिति मजबूत है, तो बिज़नेस नए प्रोजेक्ट्स में निवेश कर सकता है और नए बाजारों में विस्तार कर सकता है।
4. निवेशकों और फाइनेंसर के विश्वास को बढ़ाता है (Builds Investor & Lender Confidence)
जब कोई बिज़नेस निवेशकों (Investors) या बैंक से लोन (Loan) लेने जाता है, तो सबसे पहले उनसे यही पूछा जाता है कि उनका कैश फ्लो कितना मजबूत है। इसलिए, एक सही कैश फ्लो प्रोजेक्शन बनाना अनिवार्य हो जाता है।
यदि बिज़नेस अपने भविष्य की नकदी स्थिति का स्पष्ट विवरण दे सकता है, तो निवेशकों और फाइनेंसर को विश्वास होता है कि उनका पैसा सही जगह निवेश किया जा रहा है। इससे बिज़नेस को आसानी से फंडिंग प्राप्त हो सकती है।
यही कारण है कि फाइनेंसर हमेशा बिज़नेस का कैश फ्लो स्टेटमेंट (Cash Flow Statement) मांगते हैं ताकि वे यह तय कर सकें कि लोन चुकाने की क्षमता (Repayment Capacity) कितनी है।
5. आपातकालीन स्थितियों से निपटने में मदद करता है (Helps in Handling Emergencies)
बिज़नेस में कई बार अचानक ऐसे हालात बन जाते हैं, जहां नकदी की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए – आर्थिक मंदी (Recession), आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट (Supply Chain Disruptions), या अन्य बाहरी कारक।
यदि कैश फ्लो प्रोजेक्शन सही तरीके से किया गया है, तो बिज़नेस पहले से ही ऐसे हालात के लिए तैयार हो सकता है। इससे संकट के समय में कंपनी को मजबूर होकर उधार (Debt) नहीं लेना पड़ता।
इसलिए, एक मजबूत कैश फ्लो प्रोजेक्शन बिज़नेस को वित्तीय अस्थिरता से बचाने और दीर्घकालिक सफलता (Long-Term Success) की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करता है।
Methods for Projecting Cash Flow in Hindi
किसी भी बिज़नेस के लिए कैश फ्लो प्रोजेक्शन (Cash Flow Projection) एक ज़रूरी प्रक्रिया होती है, जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि भविष्य में नकदी प्रवाह (Cash Inflow) और नकदी बहिर्गमन (Cash Outflow) कैसा रहेगा।
यह अनुमान लगाने के लिए अलग-अलग विधियों (Methods) का उपयोग किया जाता है, ताकि बिज़नेस अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सके। आइए विस्तार से समझते हैं कि कैश फ्लो प्रोजेक्शन के कौन-कौन से तरीके होते हैं और वे कैसे काम करते हैं।
1. प्रत्यक्ष विधि (Direct Method)
प्रत्यक्ष विधि (Direct Method) कैश फ्लो प्रोजेक्शन की सबसे सरल और सीधी विधि होती है। इसमें प्रत्येक नकदी प्रवाह (Cash Inflow) और नकदी बहिर्गमन (Cash Outflow) को अलग-अलग कैटेगरी में सूचीबद्ध किया जाता है।
यह तरीका मुख्य रूप से उन बिज़नेस के लिए उपयोगी होता है, जिनका कैश ट्रांजैक्शन अधिक होता है। इसमें निम्नलिखित चीज़ों को ध्यान में रखा जाता है –
- बिक्री से प्राप्त नकद राशि (Cash Receipts from Sales)
- सप्लायर्स और कर्मचारियों को भुगतान (Payments to Suppliers and Employees)
- अन्य परिचालन व्यय (Other Operating Expenses)
इस विधि का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह स्पष्ट और सटीक परिणाम देती है, जिससे बिज़नेस को अपने दैनिक नकदी प्रवाह को समझने में आसानी होती है।
2. अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Method)
अप्रत्यक्ष विधि (Indirect Method) मुख्य रूप से वित्तीय विवरणों (Financial Statements) के आधार पर कैश फ्लो का अनुमान लगाती है। यह विधि विशेष रूप से उन बिज़नेस के लिए उपयोगी होती है, जो अपने वित्तीय डेटा को गहराई से विश्लेषण करना चाहते हैं।
इसमें कैश फ्लो की गणना बैलेंस शीट (Balance Sheet) और आय विवरण (Income Statement) के आंकड़ों के आधार पर की जाती है। इसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं –
- शुद्ध लाभ (Net Profit)
- गैर-नकदी मदें (Non-Cash Items) जैसे कि अवमूल्यन (Depreciation)
- परिचालन से जुड़ी परिसंपत्तियों और देनदारियों में बदलाव (Changes in Operating Assets & Liabilities)
इस विधि का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वित्तीय डेटा का गहन विश्लेषण प्रदान करती है और दीर्घकालिक वित्तीय योजनाओं के लिए उपयोगी होती है।
3. ऐतिहासिक डेटा आधारित विधि (Historical Data Method)
इस विधि में पिछले वर्षों के वित्तीय आंकड़ों (Financial Records) का विश्लेषण किया जाता है, ताकि भविष्य के नकदी प्रवाह का अनुमान लगाया जा सके। यह उन बिज़नेस के लिए सबसे अधिक उपयोगी होती है, जिनका संचालन कई वर्षों से हो रहा है।
ऐतिहासिक डेटा की मदद से यह देखा जाता है कि किन महीनों में नकदी प्रवाह अधिक या कम रहा और किन कारकों ने इस पर प्रभाव डाला। इससे बिज़नेस को अपने वित्तीय फैसले बेहतर ढंग से लेने में मदद मिलती है।
हालांकि, इस विधि की एक सीमा यह भी है कि यह केवल पिछले डेटा पर आधारित होती है और वर्तमान बाजार स्थितियों (Current Market Conditions) को ध्यान में नहीं रखती।
4. संभाव्य अनुमान विधि (Pro Forma Projection Method)
इस विधि में भविष्य की अनुमानित बिक्री (Projected Sales) और व्यय (Projected Expenses) के आधार पर नकदी प्रवाह की गणना की जाती है। यह उन बिज़नेस के लिए अधिक उपयोगी होती है, जो नए उत्पाद (New Product) लॉन्च करने या अपने बिज़नेस का विस्तार (Expansion) करने की योजना बना रहे हैं।
इसमें प्रोजेक्टेड बैलेंस शीट (Projected Balance Sheet) और प्रोजेक्टेड आय विवरण (Projected Income Statement) का उपयोग किया जाता है, ताकि संभावित नकदी प्रवाह को मापा जा सके।
हालांकि, इस विधि में सटीकता (Accuracy) पूरी तरह से उस डेटा पर निर्भर करती है, जो बिज़नेस द्वारा भविष्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस्तेमाल किया जाता है।
5. शून्य आधारित बजटिंग विधि (Zero-Based Budgeting Method)
इस विधि में बिज़नेस हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में शून्य से बजट (Budget) तैयार करता है और सभी संभावित खर्चों (Expenses) और राजस्व स्रोतों (Revenue Sources) की विस्तार से योजना बनाता है।
यह तरीका उन बिज़नेस के लिए उपयोगी होता है, जो लागत को नियंत्रित (Cost Control) करने और अपनी नकदी प्रवाह को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के इच्छुक होते हैं।
हालांकि, इस विधि को अपनाने में समय और संसाधनों की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि प्रत्येक वित्तीय योजना को नए सिरे से तैयार करना पड़ता है।